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प्रश्न-
पत्र 1971
अध्यक्ष
महोदय, मैं आपका कृतज्ञ हूं कि आपने मुझे इस पर बोलने की
आज्ञा दी। यह महत्वपूर्ण प्रस्ताव आज दिल्ली के सामने ही नहींबल्कि हमारे सारे
देश के सामने है।पिछले दो ढाई साल से बराबर हम इस पर विचार करते आ रहे है और यह
सोच रहे हैं कि हमारे देश में जो असमानताए हैं उनको किस प्रकार से दूर किया जाये?
हमारे देश में करोड़ों जनता ऐसी हैजिनको आराम से खाना नहीं नहीं
मिलता, कपड़ा नहीं मिलता और जिनके पास रहने के लिये मकान
नहीं है और जीवन की जो बुनियादी आवश्यकताएं है जो सबको मिलनी ही चाहिए वह नहीं
मिलती हैं। ऐसे लोगों को किस प्रकार से सहायता पहंचाई जाये, यह
प्रश्न आज हमारे सामने है। इस संबंध में जैसा कि माननीय सदस्यों को मालू होगा कि
हमारेदेश में जो सबसे मुख्य पार्टी कांग्रेस पार्टी है वह इस प्रकार केआयोजनों को
आगे बढ़ा रही है। इसे बात पर कई महीनों से विचार हो रहा है। कई राज्यों में बिल
की शक्ल में भी चीजें सामने आई हैं और सबने देश के हित को सामने रखते हुए इस
मामले को अभी स्थगित रखी हुआ है।
लेकिन सब लोग जानते है कि किसी भी देश
में अगर सामाजिक न्याय की बुनियाद न डाली जाये तो उस देश की आजादी पूरी नहीं मानी
जाती है। ऐसी स्थिति में हम इस देश में एक बहुत बड़ा काम करने जा रहे हैं। हमारे
देश में असमानता कम हो जनता केअंदर संतोष बढे, उसकी गरीबी, बेकारी और बेरोजगारी दूर हो और ये चीजें
जो हमारे सामने डरावनी शक्ल में मौजूद हैं
उनको किस प्रकार से मिटाया जाये, यह सवाल आज हमारे
देश के समाने सबसे बड़ा सवाल है हमारे देश के नोताओं ने यह फैसला किया है कि सारे
हिन्दुस्तान मेंअचल संपत्ति के बारे में कोई कानून बनाया जाये जिससे देश के अन्दर
जो असमानता है वह दूर हो सके और उसको कम किया जा सके। आज हमारे देश में असमानता एक
भयानक रूप में खड़ी है। हालांकि हमारे देश के अन्दर आय भी कुछ बढ़ी है लेकिन इस
के बावजूद हमारे देश में वह संतोष नहीं है, वह बुनियादी
चीजें नहीं है जिसके बल पर हम इस देश में असमानता कम से कम कर सकें। यही कारण है
कि यह प्रस्ताव आज यहां पर लाया गया है।
प्रश्न पत्र 1971(2)
देश
की आर्थिक अवस्था का जो विवरण वित्त मंत्री जी ने हमारे सामने प्रस्तुत किया है
यह सन्तोषजनक है। हम देश की आर्थिक अवस्था को मजबूत बनाने की दिशा में अग्रसर हो
रहे हैं। विभिन्न क्षेत्रों में उत्पादन बढ़ रहा है जिससे आशा की एक झलक दिखाई
पड़ रही है। तीसरी पंचवर्षीय योजना के दौरान हम एक बहुत बड़ी धन-राशि खर्च करने जा
रहे हैं। यह भी एक आशाप्रद बात है। लेकिन अध्यक्ष महोदय, पिछले साल भी मैंने वित्त मंत्री जी काध्यान इसतरफ
खींचा था और आज फिर खींचता हूं कि देश की वर्तमान आर्थिक अवस्था का चित्र हमारे
सामने रखने के साथ ही साथ इन्हें यह भी बतलाना चाहिए था कि इस देश के अन्दर उत्पादन
में जो वृद्धि हुई है वह समाज के किस अंग में किस रूप में उपयोग में लाई गई है आज
हिन्दुस्तान की सबसे बड़ी समस्या गरीबी और बेकारी को खत्म करना है। ये दोनों
बीमारियां हमारे समाज के अन्दर कैंसर की बीमारी की तरह से हैं। आज तक डॉक्टर यह नहीं
सोच पाये कि कैंसर की बीमारी के लिये कौन-सी दवा उपयुक्त है, उसी तरह वित्त मंत्री जी इस विद्या के विशेषज्ञ होते
हुए भी इस बीमारी की असल दवा हमें बतलाने में असमर्थ रहे। यह ठीक है कि बेकारों की
बेकारी कीसमस्या को महसूस करते हैं, लेकिन हम देखते हैं कि जैसे-जैसे हमारी योजना का काम आगे बढ़ता जाता है, वैसे-वैसे यह पता लगता है कि बेकारी भी उसी गति से बढ़ती जा रही है। गरीबी का सवाल बेकारी
की समस्या से जुड़ा हुआ है, अगर
लोगों को काम मिलेगा तो बेकारी दूर होगी और देश से गरीबी भी दूर होती जायेगी।
मेरे मित्र ने यहां अपने विचार प्रकट
करते हुए अभी कहा कि देश की उन्नति के लिये नागरिकों को त्याग करना चाहिए। मैं
इस बात को बहुत अच्छी तरह से महसूस करता हूं और हमारे देश की जनता भीइ सको अच्छी
तरह से जानती है कि बिना कष्ट उठाये पूंजी जमा नहीं हो सकती और बिना पूंजी
केविकास नहीं हो सकता । परन्तु सिर्फ इस सदन में खड़े होकर कह देने से पूंजी नहीं
बढ़ सकती । जनता हर तरह से सहयोग करने को तैयार है परन्तु उसे रास्ता आपको
दिखलाना चाहिए। आपको स्वंय कुछ त्याग करके जनता के समाने जाना चाहिए। जब आप विश्वास
रखिये जनता हर तरह से आपकी मदद करने को तैयार रहेगी।
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