Rishi Pranali lession 3 notes | स्वर , दो व्यंजनों के बीच स्वर का स्थान hindi steno course
स्वर vowels | Steno vowels rishi pranali
मोटे बिन्दु और मोटे डैश केे प्रयोग | हल्के बिन्दु और हल्के डैश के प्रयोग
स्वर- ऐसे वर्णों जिनका उच्चारण बिना किसी दूसरे वर्ण
की सहायता से होता है, स्वर कहलाते हैं। स्वर
दो प्रकारके होते हैं।
लघु स्वर- जिनके उच्चारण
में कम समय लगता है, वे लघु स्वर कहलाते
हैं जैसे- अ, आ, इ, उ,ए,ओ।
दीर्घ स्वर- जिनके
उच्चारण में अधिक समय लगता है वे दीर्घ स्वर कहलाते है।, जैसे आ,ई,ऊ,ऐ,औ।
स्टेनो ,हिन्दी
आशुलिपि (stenography) में 11 स्वर का प्रयोग किया जाता है। पहले 6 स्वर लघु है इन्हें हल्के, बिन्दु या हल्के डैश से तथा दूसरे 5 स्वर दीर्घ
है, जिन्हें गहरे बिन्दू या गहरे डैश से प्रकट किया जाता
है।
- इन्हे भी पढ़े💬 हिन्दी स्टेनो वर्णमाला ऋषि प्रणाली
- इन्हे भी पढ़े💬व्यंजन रेखाओं को मिलाना
व्यंजन consonants-
जिन वर्णों या अक्षरों का उच्चारण बिना किसी दूसरे स्वर की सहायता के न
हो सके, व्यंजन कहलाते है जैसे,
- क्+अ= क,
- स्+अ=स
व्यंजन रेखाओं पर स्वरों के स्थान- हिन्दी भाषा में जितने स्वर हैं, उतने ही स्वरों को स्टेनोग्राफी में संकेतो के द्वारा प्रकट किया गया है। इन स्वरों को आशुलिपि(stenography) में लिखने का क्रम तीन स्थानों से होता है।
- प्रथम स्थान- जहां से रेखाक्षर आरंभ होता है- (लाइन से उपर)
- द्वितीय स्थान- रेखाक्षर के मध्य में-(लाइन पर)
- तृतीय स्थान- रेखाक्षर के अंत में-(लाइन को काटकर)
हिन्दी भाषा में स्वरों के बदले हुए रूप को मात्रा कहते हैं जैसे.
अ आ ऑ इ ई उ ऊ ए ऐ ओ औ
हिन्दी आशुलिपि(stenography) में 10 स्वर बहुधा प्रयोग में आते हैं। कभी कभी 11 वें स्वर ऑ का भी प्रयोग किया जाता है।
स्वर लगाने के नियम-
1-आशुलिपि(stenography) में एक ही बिन्दु और एक ही डैश से 3-3 स्वर या मात्राएं नियत की गई हैं। इनके लिए अलग-अलग स्थान नियम किये गए हैं और उन्हीं स्थानों के अनुसार , रेखाकृतियां बनाई जाती हैं।
2.इन संकेतो के द्वारा एक ही चिह्न एक स्थान पर एक स्वर को तथा वही
चिह्न् दूसरे स्थान पर दूसरे स्वर को और तीसरे स्थान पर तीसरे स्वर को
प्रदर्शित करता है।
3-आशुलिपि(stenography) में रेखाकृतियों के प्रारंभिक स्थान को प्रथम,बीच के स्थान को द्वितीय और अंत के स्थान को तृतीय स्थान कहते हैं।
- पहले लगने वाले स्वर पूर्ववर्ती स्वर हैं, एवं बाद में लगने वाले स्वरया मात्रा उत्तरवर्ती स्वर है।
- ऊपर नीचे आने वाले रेखाक्षरों के स्थान ऊपर से प्रारंभ किये जाते हैं -
- नीचे से ऊपर जाने वाले रखाक्षरों के स्थान नीचे से प्रारंभ किये जाते हैं -
- लाइन के बराबर लिखे जाने वाले रेखाक्षरों के स्थान बायें से दायें की तरफ निर्धारित किये जाते हैं-
- आशुलिपि(stenography) की कापी से भी प्रथम, द्वितीय और तृतीय स्थान किये गये हैं। प्रथम स्थान लाइन से ऊपर, द्वितीय स्थान लाइन पर तथा तृतीय स्थान लाइन को काटते हुए लिखे जाते हैं।
प्रथम स्थान के स्वर
प्रथम स्थान के स्वर आने पर-
अ-प्रथम रेखाक्षर लाइन से ऊपर लिखा जायेगा।
प्रथम रेखाक्षर में लगने वाले स्वर या मात्रा रेखा के प्रथम स्थान के
पहले या बाद में लगाये जायेंगे।
1-यदि अधोगामि एवं ऊर्ध्वगामी रेखाक्षरों के पहले स्वर आते हैं तो पहले
तथा बाद में स्वर आते हैं तो बाद में पढ़े जाते हैं -
2- जब स्वर अग्रगामी रेखा के ऊपर लिखे जाते हैं तो पहले तथा नीचे लिखे
जाते हैं तो बाद में पढ़े जाते हैं -
3-जब अग्रगामी रेखाक्षर के पश्चात अधोगामी रेखाक्षर आते हैं तो पूरा
रेखाक्षर आधार रेखा से ऊपर लिखा जाता है -
4-यदि किसी अधोगामी एवं ऊर्ध्वगामी रेखाक्षर के प्रथम व्यंजन के बाद
प्रथम स्थान के स्वर का बोध हो तो रेखाक्षर आधार रेखा से ऊपर लिखा जाता है-
5-यदि किसी अधोगामी शब्द के प्रथम व्यंजन की ध्वनि से प्रथम स्थान के
स्वर का बोध हो और उसके बाद पुन: अधोगामी रेखाक्षर आये तो प्रथम अधोगामी रेखाक्षर
आधार रेखा से ऊपरतथा दूसरा आधार रेखा को काटते हुए लिखा जाता है-
6-अ लघु स्वर है जो व्यंजन में लुप्त रहता है (जैसे-ट्+अ=ट) इस कारण व्यंजन
रेखा पर इसको लगाना जरूरी नहीं है। 'अ' स्वर किसी व्यंजन के पहले प्राय: उपसर्ग का कार्य करता है तथा उसके अर्थ
में विपरित परिवर्तन कर देता है । अत: स्वर किसी शब्द के पहले आने पर इसका चिन्ह
लगाना चाहिए।
आशुलिपि अभ्यास
पाम , जाम, जाट, गला, चमड़ा, काटना,काला , कमाना,बाग, चाल,नानक,घास,दाना,यान।
द्वितीय स्थान के स्वर-
अ-प्रथम रेखाक्षर बहुधा लाइन पर लिखा जाता है।
ब-प्रथम रेखाक्षर में लगनेवाले स्वर या मात्रा रेखा के द्वितीय स्थान के
पहले बाद में लगाये जायेंगे।
1-यदि अकेले अग्रगामी,ऊर्ध्वगामी
तथा अधोगामी रेखाक्षरों के पहले स्वर आता है तो पहले तथा बाद में स्वर आता है तो
पहले तथा बाद में स्वर आता है तो बाद में पढ़ा जाता है
2-यदि किन्हीं दो शब्दों में पहले एवं बाद में स्वर द्वितीय स्थान का
हो और केवल अग्रगामी रेखाक्षर ही हो तो वे रेखा पर ही लिखे जायेंगे।
3-यदि किसी अग्रगामी रेखाक्षर में पहला स्वर द्वितीय स्थान का हो और उसके
तुरंत पश्चात अधोगामी रेखाक्षर आ रहे हों तो अग्रगामी रेखाक्षर लाइन से ऊपर तथा अधोगामी
रेखाक्षर लाइन पर लिखे जायेंगे।
4-यदि एक साथ दो अधोगामी रेखाक्षर हों तो एक आधार रेखा पर समाप्त होगा और दूसरा
वहीं से प्रारंभ होगा।
5-यदि किसी शब्द के प्रथम व्यंजन के साथ द्वितीय स्थान के स्वर का बोध हो
और उसमें अग्रगामी , ऊर्ध्वगामी तथा अधोगामी रेखाक्षरों में से कोई
भी रेखाक्षर हो तो उसे प्रत्येंक स्थित में आधार रेखा पर ही लिखा जायेगा।
आशुलिपि अभ्यास-
लौट, खोला, भोर हौद, केरल, फेर, मैडम, गौतम।
तृतीय स्थान के स्वर-
तृतीय स्थान के स्वर आने पर-
- अ-प्रथम रेखाक्षर बहुधा लाइन को काट कर लिखा जायेगा।
- ब-प्रथम रेखाक्षर में लगने वाले स्वर या मात्रा अकसर रेखा केतृतीय स्थान पर लगायी जायेंगी
1-यदि किसी अकेले शब्द के प्रथम व्यंजन के साथ तृतीय स्थान के स्वर को बोध
पहले या बाद में हो तो ऊध्व्रगामी रेखाक्षर रेखा को काट कर लिखे जायेगे ।
2-यदि किसी अकेले शब्द में केवल अग्रगामी रेखाक्षर हों ओर तृतीय स्थान के
स्वर हो तो ऐसे रेखाक्षर लाइन पर ही लिखे जायेंगे।
3-दो रेखाक्षरों के बीच का स्वर- स्वर , जब दो रेखाक्षरों के बीच में आता है तो प्रथम तथा द्वितीय स्थान का स्वर नियमानुसार
अपने स्थान पर ही लगया जाता है। किन्तु जब तृतीय स्थान का स्वर आता है तो पहले
व्यंजन के तीसरे स्थान पर स्वर न रखकर आगे वाले व्यंजन के तीसरे स्थान पर उसके
पहले साइड पर रखा जाता है, क्योंकि यह सुविधाजनक
रहता है।
4-यदि अग्रगामी रेखाक्षर के तुरंत पश्चात ऊर्ध्वगामी रेखाक्षर एवं तृतीय स्थान
का स्वर हो तो अग्रगामी रेखाक्षर लाइन के नीचे तथा ऊर्ध्वगामी रेखाक्षर लाइन को काटते
हुए उपर की ओर लिखे जाते हैं -
5-यदि अग्रगामी रेखाक्षर के तुंरत पश्चात अधोगामी रेखाक्षर एवं तृतीय स्थान
का स्वर हो तो ऐसी दशा में अग्रगामी रेखाक्षर लाइन के उपर तथा अधोगामी रेखाक्षर लाइन
को काटते हुए लिखे जाते हैं।
6-यदि किसी अधोगामी शब्दके प्रथम व्यंजन की ध्वनि से तृतीय स्थान के स्वर
का बोध हो और उसके बाद पुन: अधोगामी रेखाक्षर आयें तो प्रथम अधोगामी रेखाक्षर आधार
रेखा को काटते हुए तथा दूसरा आधार रेखा के नीचे लिखा जाता है,।
7-दो या दो से अधिक अग्रग्रामी, रेखाक्षरों के पश्चात तृतीय स्थान के स्वर हों तो वे लाइन पर ही लिखे जायेंगे।
8-(वचन)
व्यंजन रेखा के अंत में एक अतिरिक्त बिन्दु लगाने से भी बहुवचन प्रकट किया जा सकता है
9-म्प, म्फ,म्ब और म्भ का प्रयोग-
यदि रेखाक्षर म व्यंजन को गहरा कर दिया जाये तो प,फ,ब और भ(म्प, म्फ,म्ब,म्भ,)का योग हो जाता हो जाता है पर ऐसी दशा में, प,फ,ब,भ के बीच में कोई मात्रा नहीं आती है। म के पहले या प,फ, ब, भ के बाद मात्रा
आ सकती है।
10-रेखाक्षर ड. का प्रयोग-
सरल एवं वक्र रेखाक्षरों के मध्य तथा अंत में ड. निम्न प्रकार से लिखा जाता
है,
11- 'ल' को छोड् कर जब
किसी अन्य शब्दों में एक ही अक्षर दो बार आता है या उसी ग्रुप का शब्द आधा आता है
तो उनके लिए एक ही रेखाक्षर लिखा जायेगा।
12-अनुस्वार-
जिस प्रकार किसी व्यंजन के ऊपर बिन्दु (-) या चन्द्रबिन्दु ¡ लगाने से अनुस्वार प्रकट किया जाता है
उसी प्रकार नासिका व्यंजनों से भी अनुस्वार प्रकट किया जाता है। अनुस्वार को दर्शाने
के लिए बिन्दु स्वरों को एक हल्के वृत्त से तथा डैश स्वरों के स्थान पर रेखा
के समानान्तर एक खड़ा डैश लगाने से दर्शाया जा सकता है।
आशुलिपि(stenography) में अभ्यास-
- इटली, इमारती,दिग्गज,टीका,भूमिका,फीका,किलो,इमदार,मुक्ति,अंजलि, कुण्डा,गुम्बद
- अच्छा तो यह होगा कि आप फालतू बातें करना छोड़ दें।
- बीच बाजार में आज लोग इकट्ठे हो गये और नेताजी को घेर लिया।
- महोदय जी आज आप बहुत ही गंभीर हो गये हैं।
- राहुल ने अपने ठंग से चुंगी नाके की बुकिंग के टिकट भी नत्थी कर रखे थे।
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