स्‍व, श्‍व का बड़ा वृत्त का नियम ।Rishi Pranali lession 19 notes hindi steno course

 स्‍व, श्‍व का बड़ा वृत्त का नियम

जब स 𐩒 वृत्त को अपने साधारण आकार से दुगुना ◯ किया जाता है तो रेखा के प्रांरभ तथा मध्‍य में स्‍व, श्‍व पढ़ा जाता है। साथ ही मध्‍य तथा अंत में यही वृत्त सस, सश,शष,षष तथा क्षस की ध्‍वनि को भी प्रदर्शित करता है। वह बड़ा वृत्त से वृत्त के समान ही रेखाके प्रांरभ, मध्‍य तथा अंत में लिखा और पढ़ा जाता है।

प्रारंभिक स्‍व-श्‍व :

  • सरल रेखाओं में बाएं से दाएंं की ओर लिखा जाता है 


  • वक्र रेखाओं में अंदर की ओर से लगाया जाता है 

माध्‍यि‍मक स्‍व-श्‍व :

  • शब्‍द के मध्‍य में स्‍व/स्‍वा की ध्‍वनियां आने वाले शब्‍दों को बड़े वृत्त से भी लिखा जा सकता है 


  • स्‍व के पहिले तथ अंत में कोई स्‍वर आ जाये तो स्‍व का वृत्‍त नहीं बनाया जाता बल्कि रेखाक्षर स तथा व पूरे ही लिखे जायेंगे। 


  • स्‍व का वृत्त प्रांरभिक आंकड़े युक्‍त शब्‍द य, व,ह,त्र तथा ज्ञ में नहीं लगता है।


माध्‍यमिक तथा अंतिम बड़ा वृत्त :

  • स, श, ष ज तथा में से किन्‍हीं दो अक्षरों के एक साथ आने पर मध्‍य तथा अंत में (सस, सश,शश,षष,शज तथा क्षस) बड़े वृत्‍त द्वारा भी प्रकार किया जाता है। अगर स्‍वर इनके बीच में आता है तो वृत्त्तके बीच में लगा कर दर्शाया जाता है 





स्‍टेनो में लिखें-

स्‍वचालित, स्‍वच्‍छंद, स्‍वामी,स्‍वाभिमानी, स्‍वाभाविक,स्‍वेच्‍छाचारिता,स्‍वच्‍छता

स्‍वर्वावास, स्‍वल्‍पाहार स्‍वचालन स्‍वनाम अश्‍वारोहण,अनुशासक, स्‍वदेशी, स्‍वादिष्‍ट 

स्‍वर्गिक सविता कुपुरस्‍वामी कुस्‍वामी अश्‍वारोही नाजुक मिजाज सवेरा

मिजााज गुस्‍सेबाज अस्‍वस्‍थ स्‍वर्ग स्‍वाभिमान स्‍वेच्‍छा स्‍वयंसिद्ध स्‍वपक्ष दुशासन